रात अँधेरी बारिश का दुख पेड़ से पूछो जो कि बेचारा काँप रहा है चिड़ियों के घर कैसे बचेंगे पत्ते झरें, शाखें गिर जाएँ बस उसके बच्चे बच जाएँ
हिंदी समय में प्रताप सोमवंशी की रचनाएँ